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Hepatitis day |
विश्वभर में हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने का निर्णय लिया गया, ताकि जागरूकता फैलाई जा सके। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन उपलब्ध है और हेपेटाइटिस बी होने पर ही हेपेटाइटिस डी का संक्रमण होता है। केवल सी और ई का ही वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
क्या है हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें लिवर की कोशिकाएं सूज जाने से वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हेपेटाइटिस का मामूली संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। अगर इसके लक्षण छह महीने से अधिक दिखाई दें, तो वह एक्यूट हेपेटाइटिस की श्रेणी में आता है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस के लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं।
हेपेटाइटिस वायरस
वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस के लिए जिम्मेदार पांच वायरसों की खोज की है। इन्हें ए, बी, सी, डी और ई नाम दिया गया है।
वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस के लिए जिम्मेदार पांच वायरसों की खोज की है। इन्हें ए, बी, सी, डी और ई नाम दिया गया है।
हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी)
ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में पाए जाते हंै और ये मुख्यतया दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होते हैं। जब एचएवी का संक्रमण हल्का होता है, तो यह दवाओं के द्वारा पूरी तरह ठीक हो जाता है। अगर संक्रमण गंभीर है, तो यह जीवन के लिए घातक हो सकता है। जो लोग गंदे परिवेश में रहते हैं या साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, उनके इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।
ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में पाए जाते हंै और ये मुख्यतया दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होते हैं। जब एचएवी का संक्रमण हल्का होता है, तो यह दवाओं के द्वारा पूरी तरह ठीक हो जाता है। अगर संक्रमण गंभीर है, तो यह जीवन के लिए घातक हो सकता है। जो लोग गंदे परिवेश में रहते हैं या साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, उनके इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।
हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी)
यह संक्रमित रक्त, सीमन और दूसरे बॉडी फ्ल्यूड के द्वारा संचरित होता है। यह वायरस जन्म के समय संक्रमित मां से बच्चे में संचरित हो सकता है या नवजात शिशु को परिवार के किसी सदस्य के द्वारा मिल सकता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रकियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन से भी फैल सकता है।
यह संक्रमित रक्त, सीमन और दूसरे बॉडी फ्ल्यूड के द्वारा संचरित होता है। यह वायरस जन्म के समय संक्रमित मां से बच्चे में संचरित हो सकता है या नवजात शिशु को परिवार के किसी सदस्य के द्वारा मिल सकता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रकियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन से भी फैल सकता है।
हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी)
यह मुख्यतया दूषित रक्त से संचरित होता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन आदि से भी फैल सकता है। यह शारीरिक संबंधों के द्वारा भी फैल सकता है, लेकिन इसके मामले कम देखे जाते हैं।
यह मुख्यतया दूषित रक्त से संचरित होता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन आदि से भी फैल सकता है। यह शारीरिक संबंधों के द्वारा भी फैल सकता है, लेकिन इसके मामले कम देखे जाते हैं।
हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी)
यह संक्रमण केवल उन लोगों में होता है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होते हैं। एचडीवी और एचबीवी के दोहरे संक्रमण के कारण बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है।
यह संक्रमण केवल उन लोगों में होता है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होते हैं। एचडीवी और एचबीवी के दोहरे संक्रमण के कारण बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है।
हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी)
हेपेटाइटिस ए वायरस के समान ही एचईवी भी दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होता है। इसके मामले बहुत अधिक देखे जाते हैं।
हेपेटाइटिस ए वायरस के समान ही एचईवी भी दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होता है। इसके मामले बहुत अधिक देखे जाते हैं।
हेपेटाइटिस के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताएं
क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी के कारण अकसर अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं, क्योंकि ये वायरस प्रमुख रूप से लिवर पर आक्रमण करते हैं। जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी या सी है, उनमें इन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है-
- क्रॉनिक लिवर डिसीज
- लिवर सिरोसिस
- लिवर कैंसर
- लिवर फेल्योर
- किडनी फेल्योर।
क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी के कारण अकसर अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं, क्योंकि ये वायरस प्रमुख रूप से लिवर पर आक्रमण करते हैं। जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी या सी है, उनमें इन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है-
- क्रॉनिक लिवर डिसीज
- लिवर सिरोसिस
- लिवर कैंसर
- लिवर फेल्योर
- किडनी फेल्योर।
रोकथाम
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- टैटू के लिए स्टरलाइज नीडल का इस्तेमाल करें।
- सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।
- अपने टूथब्रश और रेजर किसी के साथ साझा न करें।
- शराब का सेवन न करें या अत्यंत कम मात्रा में करें।
- विशेषकर टॉयलेट से आने के बाद सफाई का ध्यान रखें।
लक्षण को जानें
कई लोगों में प्रारंभ में हेपेटाइटिस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। आमतौर पर इसके लक्षण 15 से 180 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
- बुखार आना
- डायरिया
- थकान
- भूख न लगना
- उल्टी होना
- पेट में दर्द होना
- दिल घबराना
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
- वजन कम होना
- सिर दर्द
- चक्कर आना
- यूरिन का रंग गहरा होना
- मल का रंग पीला हो जाना
- खुजली रहना
- त्वचा, आंखों के सफेद भाग, जीभ का रंग पीला पड़ जाना (ये लक्षण पीलिया में दिखाई देते हैं)
- महिलाओं में मासिक धर्म का गड़बड़ा जाना
- लिवर का आकार बढ़ जाना
क्या हैं कारण
पूरे विश्व में हेपेटाइटिस का सबसे प्रमुख कारण हेपेटाइटिस वायरस है। इसके अलावा कुछ संभावित कारण हैं-
- विभिन्न प्रकार के संक्रमण।
- नशा करना (शराब और कुछ निश्चित ड्रग्स का सेवन)।
- ऑटोइम्यून डिसीज भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकती हैं।
- कुछ निश्चित दवाओं के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव से भी यह बीमारी हो सकती है।
कैसे करें इसका प्रबंधन
एक ब्लड टेस्ट के जरिए गंभीर और क्रॉनिक एचबीवी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। उन लोगों के लिए स्क्रीनिंग उपलब्ध है, जिन्हें एचबीवी संक्रमण होने का खतरा अधिक है अथवा जांच में स्पष्ट नहीं हुए एचबीवी संक्रमण के चलते जटिलताएं हो चुकी होती हैं। ऐसे लोगों में एचबीवी से संक्रमित माताएं, नवजात शिशु, संक्रमित व्यक्ति के सेक्स पार्टनर, इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वाले, पब्लिक सेफ्टी वर्कर्स आदि शामिल होते हैं। यानी इनके प्रति जागरूकता जरूरी है।
एक ब्लड टेस्ट के जरिए गंभीर और क्रॉनिक एचबीवी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। उन लोगों के लिए स्क्रीनिंग उपलब्ध है, जिन्हें एचबीवी संक्रमण होने का खतरा अधिक है अथवा जांच में स्पष्ट नहीं हुए एचबीवी संक्रमण के चलते जटिलताएं हो चुकी होती हैं। ऐसे लोगों में एचबीवी से संक्रमित माताएं, नवजात शिशु, संक्रमित व्यक्ति के सेक्स पार्टनर, इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वाले, पब्लिक सेफ्टी वर्कर्स आदि शामिल होते हैं। यानी इनके प्रति जागरूकता जरूरी है।
उपचार को जानें
इसका उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का संक्रमण है और यह संक्रमण एक्यूट है या क्रॉनिक। हेपेटाइटिस के संक्रमणों से जुड़ी गलतफहमियां और भेदभाव इसे रोकने के मार्ग में प्रमुख अड़चन हैं और इससे संबंधित मौतों में वृद्धि का प्रमुख कारण भी हैं।
इसका उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का संक्रमण है और यह संक्रमण एक्यूट है या क्रॉनिक। हेपेटाइटिस के संक्रमणों से जुड़ी गलतफहमियां और भेदभाव इसे रोकने के मार्ग में प्रमुख अड़चन हैं और इससे संबंधित मौतों में वृद्धि का प्रमुख कारण भी हैं।
हेपेटाइटिस ए
हेपेटाइटिस ए का सामान्य तौर पर उपचार कराने की जरूरत नहीं होती। अगर संक्रमण के कारण परेशानी होती है, तो डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं। अगर आपको उल्टियां आएं या डायरिया हो, तो कुपोषण या डीहाइड्रेशन से बचाने के लिए डॉक्टर विशेष डाइट लेने की सलाह देते हैं। वैक्सीन हेपेटाइटिस ए के संक्रमण को रोक सकती है। अधिकतर बच्चों को 12 से 18 महीने के बीच इसकी वैक्सीन दे दी जाती है। वयस्कों के
लिए भी इसकी वैक्सीन उपलब्ध है।
हेपेटाइटिस बी
एक्यूट हेपेटाइटिस बी के लिए विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी का उपचार एंटी वायरल दवाओं के द्वारा किया जाता है। यह उपचार महंगा होता है, क्योंकि यह कई सप्ताह तक चल सकता है।
हेपेटाइटिस सी
एक्यूट और क्रॉनिक दोनों हेपेटाइटिस के लिए एंटी वायरल मेडिकेशन का उपयोग किया जाता है। जिन लोगों को हेपेटाइटिस सी के कारण लिवर सिरोसिस या लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं, उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है।
एक्यूट और क्रॉनिक दोनों हेपेटाइटिस के लिए एंटी वायरल मेडिकेशन का उपयोग किया जाता है। जिन लोगों को हेपेटाइटिस सी के कारण लिवर सिरोसिस या लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं, उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है।
हेपेटाइटिस डी
हेपेटाइटिस डी का उपचार दवाओं से किया जाता है, लेकिन 60 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह फिर हो जाता है।
हेपेटाइटिस डी का उपचार दवाओं से किया जाता है, लेकिन 60 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह फिर हो जाता है।
हेपेटाइटिस ई
हेपेटाइटिस ई के उपचार के लिए वर्तमान में कोई विशेष मेडिकल थेरेपी उपलब्ध नहीं है। इसका संक्रमण अकसर एक्यूट होता है। यह आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। जो लोग इसके संक्रमण से पीड़ित हैं, उन्हें पर्याप्त आराम करने, ढेर सारे तरल पदार्थों का सेवन करने, पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व लेने और अल्कोहल का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।
हेपेटाइटिस ई के उपचार के लिए वर्तमान में कोई विशेष मेडिकल थेरेपी उपलब्ध नहीं है। इसका संक्रमण अकसर एक्यूट होता है। यह आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। जो लोग इसके संक्रमण से पीड़ित हैं, उन्हें पर्याप्त आराम करने, ढेर सारे तरल पदार्थों का सेवन करने, पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व लेने और अल्कोहल का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।