ट्रैफिक लाइट का आविष्कार

ट्रैफिक लाइट सिग्नल का आविष्कार सबसे पहले 'जेपी नाइट' ने किया था। जेपी नाइट एक रेलवे सिग्नल के इंजीनियर थे
ANKUSH SHARMA



ट्रैफिक लाइट का आविष्कार

ट्रैफिक लाइट के आविष्कार की कहानी 

आज के समय में लगभग हमें हर चौराहे के ऊपर ट्रैफिक सिग्नल लगा हुआ मिल जाएगा, जो की लाल, पीली और हरी लाइट के रूप में लगा होता है और उनको लगने के बाद भी हमारे शहर में इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि हम रोड को क्रॉस भी नहीं कर पाते हैं, तो जब यह लाइट नहीं थी, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं की रोड क्रॉस करने में बहुत दिक्कत होती होगी क्योंकि पुराने समय में सिर्फ एक पुलिस कर्मी ही चौराहे के ऊपर मौजूद होता था और वह अपने हाथों के जरिए ही सारे ट्रैफिक को कंट्रोल करता था, लेकिन उस समय में भी लंदन जैसे शहर में ट्रैफिक को कंट्रोल कर पाना बहुत मुश्किल था इसलिए ट्रैफिक लाइट सिग्नल का आविष्कार किया गया ताकि ट्रैफिक को नियंत्रित किया जा सके।

ट्रैफिक लाइट का आविष्कार जे.पी नाइट
जे.पी नाइट


ट्रैफिक लाइट सिग्नल का आविष्कार सबसे पहले 'जेपी नाइट' ने किया था। जेपी नाइट एक रेलवे सिग्नल के इंजीनियर थे और उन्होंने रेलवे सिग्नल की सहायता से ट्रैफिक सिग्नल लाइट का आविष्कार किया था और सबसे पहले उन्होंने 1868 में संसद के सदनों के बाहर इस ट्रैफिक लाइट सिग्नल को लगाया था। शुरू में तो यह देखने में एक रेलवे सिग्नल की तरह ही लग रहा था। सबसे पहली बार ट्रैफिक लाइट सिस्टम को लंदन में 9 दिसंबर, 868 को शुरू किया गया था। उस समय में दिन में रोड के ऊपर लगाए
पिलर की दो बाजुओं का इस्तेमाल करके दिन में ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाता था और रात में गैस के बनाए गई ट्रैफिक लाइट को इस्तेमाल करके ट्रैफिक को नियंत्रित किया जाता था और उसमें समय में सिर्फ लाल और हरी दो रंग की ही लाइट लगी हुई थी और उस लाइट को एक पुलिसकर्मी नियंत्रित करता था। 


ट्रैफिक लाइट का आविष्कार जे.पी नाइट
जे.पी नाइट ट्रैफिक लाइट


2 जनवरी 1869 में  उस गैस से बनी हुई लाइट के फूट जाने के कारण पुलिसकर्मी को बहुत ज्यादा चोट आई थीं, जिस  कारण इस गैस ट्रैफिक लाइट सिस्टम को बंद कर दिया गया था। इस ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए 1912  में पहली बार लेस्टर फोर्नवर्थ वायर नाम के एक पुलिस आफिसर ने बिजली वाली लाइट का डेवलपमेंट करना शुरू किया  उनके डिजाइन के आधार पर एक प्रणाली 5 अगस्त, 1914 को स्थापित की गई थी। 

लेस्टर फोर्नवर्थ  वायर  

1918 में सिस्टम के लिए एक पेटेंट प्राप्त किया। उन्होंने 1913 में अपना आवेदन दायर किया था। ट्रैफिक सिग्नल ने एक चौराहे के चारों कोनों में से एक पर एक ही पोस्ट पर 'स्टॉप' सिस्टम वायर्ड था कि पुलिस और आग बुझाने का डिपो आपातकाल के मामले में रोशनी प्राप्त कर सके। 

लेस्टर फोर्नवर्थ  वायर ट्रैफिक लाइट 


फिर 1920 में, डेट्रोइट पुलिस अधिकारी विलियम पॉट्स ने कई स्वचालित ट्रैफिक लाइट सिस्टम विकसित किए, जिसमें पहले तीन-रंग सिग्नल भी शामिल थे, जिसमें पीला 'सावधानी ' प्रकाश शामिल था।

विलियम पॉट्स


विलियम पॉट्स  ट्रैफिक लाइट 



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